गाजियाबाद में लगातार घट रही है लड़कियों की संख्या
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले लिंगानुपात में अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां पिछले पांच सालों में लड़कों के मुकाबले बेटियों की संख्या घटी है। नगर निगम के आंकड़े इसकी पोल खोल रहे है। आंकड़ों के अनुसार साल 2012 में जहां प्रति हजार लड़कियों की 818 थी, वहीं पिछले साल यह आंकड़ा 789 रह गया।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का असर हुआ कम
प्रधानमंत्री की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का असर गाजियाबाद में सबसे कम होता दिख रहा है। दरअसल प्रदेश में साक्षरता के मामले में पांचवें पायदान वाले गाजियाबाद में जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या साल 2014 और 2015 में सबसे कम रही। नगर निगम में बनने वाले जन्म प्रमाण पत्रों पर गौर करें तो साल 2012 में जहां प्रति हजार लड़कों पर 818 लड़कियों का जन्म हुआ था। साल 2014 और 2015 में यह आंकड़ा क्रमश: 732 व 641 हो गया। हालांकि साल 2016 में कुछ सुधार (789) हुआ है मगर प्रदेश के औसत (912 लड़कियां प्रति हजार लड़के) की तुलना में बहुत कम हंै। महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि लोग भी मानते हैं कि बेटा ही वंश बढ़ाएगा।
कन्याभ्रूण हत्या में हो रहा इजाफा
जिले में पिछले कई वर्षों से बेटियों की शिक्षा पर काम कर रहीं समाजसेविका ममता सिंह के मुताबिक जिले में कई ऐसे अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं, जहां पर कन्याभ्रूण हत्या हो रही हैं। कई मामलों में अवैध संतान होने के कारण भी लोग बेटियों को मार देते हैं। यह बेहद गंभीर विषय है। इस पर प्रदेश और केंद्र सरकार दोनों को ध्यान देने की जरूरत है।
लिंग निर्धारण बताने वालों पर होगी कार्रवाई
सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता कहते हैं कि इस समस्या का मुख्य कारण निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों में अवैध रूप से लिंग निर्धारण बताना है। इससे सख्ती से निबटने के लिए सरकार मुखबिर योजना लाई है। हम इस पर काम कर रहे हैं। इस साल बेहतर परिणाम आएंगे। अब तक हमने जिले में अब तक दो अवैध अल्ट्रासाउंड पकड़े भी हैं।
नगर निगम में दर्ज आंकड़े
वर्ष लड़कियां प्रति हजार लड़के
2012 818
2013 782
2014 732
2015 641
2016 789
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